ध्य प्रदेश में मार्च में नई सरकार का गठन हुआ और शिवराज के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही उनका सामना पूरे भारतवर्ष में फैले कोरोना संक्रमण काल से हुआ। जिस तरह से कांग्रेस सरकार का तख्ता पलटकर बीजेपी की सरकार बनी यह जगजाहिर है किसी से छुपा नहीं है साम दाम दंड भेद सभी नीतियों का खुलकर प्रयोग हुआ पूर्व में शिवराज जी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में कर्मचारियों की नाराजगी उनको बहुत भारी पड़ी थी और उन्हें सत्ता से दूर रहना पड़ा था वही हालत अब भी हैं कर्मचारियों के हितों को वापस ताक पर रखा जा रहा है महंगाई भत्ता 2021 तक स्थगित करना कोरोना वायरस योद्धा को दस हजार रुपे की प्रोत्साहन राशि में देरी करना, जिन कर्मचारियो की मृत्यु कोरोना ड्यूटी के कारण हुई उनको भी सहायता राशि पचास लाख लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मार्च में कोरोना संकट आया मगर सरकार की आर्थिक हालत इतनी खराब नहीं थी जितनी बताई जा रही है और वर्तमान में भी डीजल पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाकर एवं अन्य तरह से राजस्व प्राप्ति से कर्मचारियों के हितों का ध्यान तो रख ही सकते हैं केंद्र सरकार से करोड़ो रुपयो का पैकेज कोरोना के लिये मिल रहा है फिर दिक्कत कहां पर है गरीबों व किसानों की तरह ही सरकारी कर्मचारियों की भी जरूरत है कर्मचारी पर अपने परिवार के सदस्यों को भी पालने की जिम्मेदारी होती है समय मान वेतन में भी कर्मचारियों की पच्चीस हजार से एक लाख रुपये तक की राशि मिलनी थी। जिससे उनको फायदा होता और उन्हे अब नुकसान उठाना पड़ रहा है, जल्दी ही 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं जहां बीजेपी पहले से ही कमजोर हैं वह अपने बीजेपी के ही नेताओं एवं पदाधिकारियों से परेशान हे, उस पर कर्मचारियो की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है कर्मचारियों को नाराज कर शिवराज जी पहले भी सत्ता से दूर हो गए थे अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज प्रदेश के कर्मचारियों को किस तरह से साधते हे।
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