मिलिए कलयुग की ‘शबरी’ से, राम मंदिर के लिए पिछले 28 साल से हैं उपवास

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जबलपुर-अयोध्या में रामलला के जन्मस्थान पर भगवान राम का भव्य मंदिर यूं ही नहीं बनने जा रहा है।राम मंदिर निर्माण के लिए सैकड़ों सालों तक रामभक्तों ने संघर्ष किया है।साथ ही इसके पीछे कुछ ऐसी शक्तियां भी हैं जो दिखावे की दुनिया से बहुत दूर हैं।बस राम मंदिर निर्माण के संकल्प लिए एकांत में साधना कर रही हैं।इन्हीं शक्तियों में से एक हैं मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने वाली 82 साल की उर्मिला चतुर्वेदी। उर्मिला चतुर्वेदी की तपस्या ऐसी ही है जो आपको शबरी की याद दिला देगी।जहां शबरी ने प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा में न जाने कितने साल जंगल के रास्तों को फूलों से सजाते हुए बिता दिए थे, वहीं उर्मिला ने अपने जीवन के पूरे 28 साल उपवास करते हुए बिता दिए हैं।

दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था तो उर्मिला ने संकल्प लिया था कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता तब तक वह अन्न ग्रहण नहीं करेगी।तब उर्मिला चतुर्वेदी 54 साल की थीं। लेकिन पिछले 28 सालों से उर्मिला ने राम नाम का जाप करते हुए अन्न का एक दाना भी नहीं खाया है। 28 सालों से फलाहार पर जीवित उर्मिला, अयोध्या में रामलला के जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा कर रही है।आखिरकार 28 साल बाद वह दिन आ ही गया जब पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे।अब उर्मिला की खुशी का कोई ठिकाना नहीं हैं. उर्मिला कहती हैं कि वो अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद ही सरयू तट पर अपना 28 साल का उपवास तोडेंगी।

भूमिपूजन पर जपेंगी राम नाम 

5 अगस्त को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखेंगे तो जबलपुर में उर्मिला अपने घर में दिनभर राम नाम का जाप करेंगी। उर्मिला तो चाहती है कि कैसे भी उन्हें अयोध्या ले जाया जाए लेकिन कोरोना संक्रमण का खतरा घटने और डॉक्टर्स की परमीशन के बाद ही उनकी ये इच्छा पूरी हो पाएगी।ख़ैर उर्मिला का संकल्प पूरा होने पर उनके अलावा उनके परिजनों की भी खुशी का ठिकाना नहीं है। उर्मिला की बहू बताती हैं कि वो और उनके बच्चे भी इंतजार कर रहे हैं कि कब दादी उनके साथ बैठकर खाना खाएंगी।

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