एक दशक से राज कर रहै वेटनरी संचालक के खिलाफ प्रदेश के डॉक्टरों ने खोला मोर्चा ,लगाए गंभीर आरोप

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भोपाल
वेटरनरी काउंसिल आफ इंडिया (वीसीआई) के चुनाव को लेकर वेटरनरी डाॅक्टरों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच धड़ेबाजी शुरु हो गई। 20 से 22 अगस्त को होने वाले आनलाइन चुनाव में वेटरनरी विभाग के संचालक डाॅ आरके रोकड़े पर प्रदेशभर के डाॅक्टरों ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है, जब किसी संचालक के खिलाफ अपने ही मातहत डाॅक्टरों ने मोर्चा खोला है। इस बार चुनाव में वेटरनरी डाॅक्टर और वेटरनरी विभाग के प्रशासनिक अधिकारी आमने-सामने है। विभाग के प्रशासनिक अधिकारी चाहते हैं कि वीसीआई में उनका प्रतिनिधि पहुंचे और वेटरनरी डाॅक्टर चाहते हैं कि उनका प्रतिनिधि पहुंचे। इसके लिए डायरेक्टर आरके रोकड़े, पूर्व सीवीआई अध्यक्ष उमेश शर्मा सहित विभाग के प्रशासनिक-राजपत्रित अधिकारी और जिलों में पदस्थ डिप्टी डायरेक्टर एक तरफ और दूसरी तरफ प्रदेश के वेटरनरी डाॅक्टर हो गए। दोनों धड़ों के बीच जमकर विवाद चल रहा है।

 

आरके रोकड़े के रसूख के आगे साथ देते अधिकारी

संचालक, आरके रोकड़े अपने फर्जी जाति प्रमाण पत्र को दबाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग दे रहे हैं। रोकड़े बीते 11 साल से संचालक और स्टेट वेटरनरी काउंसिल के पदाधिकारी है। वह चुनाव ही नहीं होने देते हैं। चूंकि प्रशासनिक व राजपत्रित अधिकारियों के पास डाॅ रोकड़े का फर्जी जाति प्रमाण पत्र है, इसलिए वह उनके दबाव में आकर साथ देते हैं। इसमें सबसे प्रभावशाली पूर्व वीसीआई अध्यक्ष डाॅ उमेश शर्मा है। उमेश शर्मा और रोकड़े ने मिलकर प्रदेशभर में अपने तरीके से चुनाव करवाने के लिए तीन हजार से ज्यादा पंजीयकृत वेटरनरी मतदाताओं/डाॅक्टरों की सूची में से 2200 की ही सूची वीसीआई को भेजी है। आरोप है कि रोकडे और उमेश शर्मा ने अपने विरोधियों के नाम मतदाता सूची से गायब कर दिए।

उमेश शर्मा
                        उमेश शर्मा

लांबन्द हुए डॉक्टरों को दबाने के प्रयास शुरू

इधर, एक दशक से रोकडे और उमेश शर्मा की दादागीरी से परेशान होकर प्रदेशभर के वेटरनरी डाॅक्टरों एक अलग ही संघ बना लिया, जिसमें सिर्फ डाॅक्टर है। इसमें प्रशासनिक अधिकारी नहीं है। लेकिन रोकडे और उमेश शर्मा ने प्रशासनिक अधिकारियों के जरिए डाॅक्टरों पर दबाव बनाना शुरु कर दिया। उन पर वेतनवृदिद, निलंबन, जांच आदि की धमकी देकर दबाव बनाया जा रहा है कि डाॅक्टरों का साथ देना छोड़ दे और प्रशासनिक अधिकारियों के धड़े को साथ दें। डाॅक्टरों का आरोप है कि दोनों मिलकर 10 साल से चुनाव नहीं होने दे रहे हैं। अब कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव घोषित हुए हैं तो मतदाता सूची में गड़बड़ी शुरु कर दी। उमेश शर्मा और रोकडे दोनों ही एक-दूसरे को प्रश्रय दे रहे और वीसीआई पर कब्जा जमाए हुए हैं। अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करके चुनाव में दखल देना शुरु कर दिया है। डिप्टी डायरेक्टरों को मौखिक निर्देश दिए गए हैं कि उमेश शर्मा के पक्ष में मतदान करवाना पड़ेगा, जबकि निष्पक्ष तरीके से चुनाव होना चाहिए।

वीसीआई के 11 सदस्यों के लिए होना है चुनाव

वीसीआई के 11 सदस्यों के लिए चुनाव होना है। इन 11 सदस्यों के लिए प्रशासनिक और डाॅक्टरों की तरफ से 11-11 सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं। पहली बार डाॅक्टरों ने अपने अधिकारियों के खिलाफ खुलकर विरोध शुरु किया है। इसलिए 11 की जगह 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। डाॅक्टरों के धड़े को इसलिए कमजोर किया जा रहा है कि वीसीआई में यदि डाॅक्टरों का प्रतिनिधित्व हो गया तो प्रशासनिक अधिकारियों की नींव कमजोर हो जाएगी। आरोप है कि यही कारण है, जिसके चलते प्रशासनिक अधिकारियों ने डाॅक्टरों के खिलाफ षडयंत्र करना शुरु कर दिया है।
वीसीआई चुनाव को अफसर प्रभावित कर रहे हैं, निष्पक्ष चुनाव की कैसे उम्मीद करें। धमकाया जा रहा है। जिन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे, वे हम पर दबाव बना रहे हैं। मतदाता सूची से कई के नाम गायब कर दिए गए हैं, जबकि फील्ड में डटकर काम करने वाले वेटरनरी डाॅक्टरों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिनके दम पर विभाग टिका है।
डाॅ बबीता त्रिपाठी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, महिला प्रकोष्ठ इंडियन वेटनरी एसोसिएशन
ठसमें आपको डाॅक्टर आरके रोकडे से बात करना होगी, 9425300527/9826445077

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