सचिन पायलट को खोना नहीं चाहती है कांग्रेस, राहुल और प्रियंका ने की मान-मनौव्वल

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vijaypath samachar

  • सचिन पायलट को मनाने के लिए प्रियंका गांधी और मिलिंद देवड़ा आगे आए
  • सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच बातचीते जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश

जयपुर
सचिन पायलट ने भले ही राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के लिए परेशानी खड़ी करने की कोशिश की है, लेकिन पार्टी उन्हें खोने के मूड में नहीं दिख रही है। सियासी जंग में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से मीडिया के सामने किए गए शक्ति प्रदर्शन के बाद लग रहा है कि सचिन पायलट को सियासी पटखनी मिल गई है। पायलट अलग-थलग पड़े हैं। उनके बगावत का दांव चल नहीं पाया है। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के खास दोस्त माने जाने वाले सचिन पायलट को मनाने का जिम्मा प्रियंका गांधी वाड्रा को मिला है। इस विवाद को खत्म करने के लिए प्रियंका गांधी खुद उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और सीएम गहलोत से बात कर रही हैं।

कुछ देर पहले जयपुर स्थित कांग्रेस के मुख्यालय से सचिन पायलट के प्रदेश अध्यक्ष के पद वाले पोस्टर हटा दिए गए थे। लेकिन प्रियंका गांधी के आदेश पर दोबारा से पोस्टर लगा दिए गए हैं।सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी ने सचिन पायलट से फोन पर बात की हैं। साथ ही भरोसा दिलाया है कि उनकी बातों को पार्टी में सुना और समझा जाएगा। प्रियंका ने दोनों नेताओं से कहा है कि वे बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाया जाए। 

मिलिंद देवड़ा को कांग्रेस ने बनाया दूत
मुंबई कांग्रेस के युवा नेता मिलिंद देवड़ा को कांग्रेस ने दूत बनाया है। सूत्रों का कहना है कि मिलिंद देवड़ा को मुंबई से दिल्ली बुलाया गया है और उन्हें सचिन पायलट को मनाने को कहा गया है। सचिन पायलट की तरह ही मिलिंद देवड़ा भी कांग्रेस के युवा चेहरे हैं।

सचिन पायलट को रोका जाए: संजय निरुपम
मुंबई कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने कहा कि दुनिया कि हर पार्टी में मतभेद होते हैं। लेकिन समस्याओं को सुलझाना नेतृत्व का काम है। राजस्थान में ऐसा बडा विवाद नहीं है कि जिसे रोका नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी हित में सचिन पायलट को रोका जाना चाहिए। पार्टी से एक-एक कर सारे नेता चले ही जाएंगे तो बचेगा कौन।

इससे पहले कांग्रेस आलाकमान के दूत माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि सचिन पायलट समेत तमाम नाराज विधायकों के लिए पार्टी के दरवाजे खुले हैं। वे आलाकमान से जब चाहे तब बात कर सकते हैं। पार्टी बैठक में आकर अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि परिवार के लोग जब नाराज हो जाते हैं तो वह मां-पिता या चाचा-ताऊ से बात करके मुद्दों को सुलझा लेते हैं।

राजस्थान में कैसे बची सीएम गहलोत की कुर्सी, जानिए अब तक के अपडेट्सनई दिल्ली/जयपुर। सचिन पायलट के बगावती तेवर के बीच राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर मंडरा रहा सियासी संकट अब टलता दिख रहा है। जयपुर में विधायकों की बैठक से पहले कांग्रेस ने सरकार के समर्थन में आए विधायकों को मीडिया के सामने पेश किया। पार्टी ने दावा किया कि सरकार के पक्ष में 102 विधायक बैठक में पहुंचे हैं। इसके अलावा जो विधायक जयपुर नहीं पहुंचे हैं उनमें भी कई संपर्क में हैं। फिलहाल राजस्थान में जारी सियासी घमासान में अशोक गहलोत ने विधायकों को कैमरे के सामने पेश करके अपने शक्ति का प्रदर्शन किया। जानिए, उनके इस दांव से सूबे की राजनीति में क्या असर होगा।

यहां यह भी बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर रघुवीर मीणा को बिठाना चाहते हैं। CWC सदस्य रघुवीर मीणा उदयपुर के सांसद रह चुके हैं।

गहलोत की बैठक में नहीं पहुंचे ये विधायक

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से जयपुर स्थित सीएम आवास में बुलाई गई बैठक में करीब 107 विधायकों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है। सीएम गहलोत के मीडिया एडवाइजर ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि 107 विधायक बैठक में पहुंचे हैं। सीएम गहलोत ने मीडिया के सामने विधायकों की परेड कराई है। इस बैठक में उपमुख्यंत्री सचिन पायलट, मंत्री रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह बैठक से नदारद रहे। इसके अलावा विधायक राकेश पारीक, मुरारी लाल मीणा, जीआर खटाना, इंद्राज गुर्जर, गजेंद्र सिंह शक्तावत, हरीश मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा, विजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी और पीआर मीणा भी बैठक में नहीं पहुंचे

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